पारदेश्वर गणपति: घर-परिवार में सुख, शांति और अक्षय समृद्धि का राज़

गणेश जी का नाम सुनते ही मन में श्रद्धा और विश्वास उमड़ आता है। वह विघ्नहर्ता हैं, ऋद्धि-सिद्धि के दाता हैं और हर शुभ कार्य की शुरुआत उनके पूजन से ही होती है। पर क्या आपने कभी पारदेश्वर गणपति के बारे में सुना है? यह सिर्फ एक प्रतिमा नहीं बल्कि दिव्य शक्ति और समृद्धि का अद्भुत प्रतीक है।

पारद – धातुओं का राजा

पारद (रस) को सभी धातुओं में सबसे श्रेष्ठ माना गया है। कहा जाता है कि यह भगवान शंकर की ही ऊर्जा का अंश है। यही कारण है कि पारद से बनी शिवलिंग, गणपति, लक्ष्मी या दुर्गा की प्रतिमाएँ घर-परिवार के लिए मंगलमयी मानी जाती हैं।
ऐसे घरों में सुख, शांति और धन-धान्य का वास होता है।

पारद क्यों है इतना खास?

  • पारद अपने आप में पूर्णता का प्रतीक है।
  • इसमें अद्भुत आयुर्वेदिक गुण हैं, जिनसे कई प्राणदायक औषधियाँ बनाई जाती हैं।
  • तंत्र और साधना जगत में यह साधक का कवच माना गया है।
  • यह न केवल आर्थिक लाभ देता है, बल्कि मानसिक व आध्यात्मिक शक्ति भी प्रदान करता है।

पारद की शोधन प्रक्रिया

कहते हैं कि बिना शोधन संस्कार के पारद का उपयोग अशुद्ध और हानिकारक हो सकता है।
प्राचीन ग्रंथों के अनुसार 18 विशेष संस्कार किए जाते हैं –
जैसे स्वेदन संस्कार, मर्दन संस्कार, गर्भदुति संस्कार, ब्राह्मदुति संस्कार, जारण, रंजन आदि।
गुरु की कृपा और मार्गदर्शन में ही यह कार्य पूर्ण होता है।
संस्कारित पारद ही दिव्य प्रतिमा का रूप धारण करता है और चमत्कारिक प्रभाव दिखाता है।

पारदेश्वर गणपति के लाभ

  1. जीवन से विघ्न-बाधाएँ दूर होती हैं।
  2. व्यापार और करियर में वृद्धि होती है।
  3. परिवार में सुख-शांति और ऐश्वर्य आता है।
  4. मानसिक तनाव कम होकर आत्मविश्वास बढ़ता है।
  5. साधक को आध्यात्मिक शक्ति और रक्षा कवच प्राप्त होता है।

दुर्लभ क्यों हैं पारद प्रतिमाएँ?

आज भी बहुत कम लोग पारद प्रतिमाओं के बारे में जानते हैं।

  • मुश्किल से 10-15% लोगों ने इसका नाम सुना है।
  • केवल 5% ने इसका दर्शन किया है।
  • और शायद 1% ही ऐसे हैं जिनके घर में यह स्थापित है।

कारण साफ है – पारद प्रतिमाएँ बनाना बेहद कठिन कार्य है और देश में गिने-चुने ही संस्थान इसे शुद्ध रूप से तैयार कर पाते हैं।

आज की आवश्यकता

आज हर जगह बीमारी, मानसिक अशांति और टोने-टोटकों का भय फैला हुआ है। लोग अनजाने तांत्रिकों के चक्कर में धन, समय और शांति गँवा बैठते हैं।
ऐसे समय में पारदेश्वर प्रतिमाएँ एक सुरक्षा कवच की तरह काम करती हैं।
यह न सिर्फ घर को पवित्र मंदिर बना देती हैं, बल्कि जीवन में नया उत्साह भी भर देती हैं।

गणेश चतुर्थी और दीपावली का संयोग

गणेश चतुर्थी पर पारदेश्वर गणपति और दीपावली पर पारदेश्वर लक्ष्मी की स्थापना घर को आलोकमय कर देती है।
ऋषि-मुनियों की तपस्या का यह फल है कि हमें इतना दिव्य मार्ग मिला।
यदि हम इसे अपनाएँ तो जीवन स्वतः सुख, शांति और समृद्धि से भर जाएगा।

निष्कर्ष

पारदेश्वर गणपति केवल एक प्रतिमा नहीं, बल्कि ईश्वरीय देन है।
यदि इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ घर, व्यापार या फैक्ट्री में स्थापित किया जाए तो वह स्थान सचमुच मंदिर बन जाता है।
आप स्वयं लाभ लें और अपने परिवार व मित्रों को भी इसके लिए प्रेरित करें।
समृद्धि और शांति की यह दुर्लभ धरोहर हर किसी तक पहुँचे – यही सच्चा प्रयास होना चाहिए।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *