साल 2025 के सितम्बर माह में आकाश एक अद्वितीय खगोलीय घटना का साक्षी बनेगा। 7 और 8 सितम्बर की मध्यरात्रि को खग्रास चन्द्रग्रहण पूरे भारत में साफ-साफ दिखाई देगा। ज्योतिष और धर्म-दर्शन की दृष्टि से यह ग्रहण अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। आइए विस्तार से जानते हैं ग्रहण के समय, प्रभाव और धार्मिक महत्व के बारे में।
ग्रहण कब और कितने बजे?
यह चन्द्रग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा को घटित होगा। भारतीय मानक समयानुसार इसके प्रमुख चरण इस प्रकार रहेंगे –
- चन्द्र मालिन्य प्रवेश (Enter Penumbra) : शाम 8:58 बजे
- ग्रहण स्पर्श (प्रारम्भ) : रात 9:57 बजे
- खग्रास प्रारम्भ : रात 11:01 बजे
- मध्यकाल : रात 11:42 बजे
- खग्रास समाप्त : रात 12:23 बजे
- ग्रहण मोक्ष (समाप्ति) : रात 1:26 बजे
- चन्द्र क्रांति निर्मल (Moon leaves Penumbra ) :रात 02 बजकर 25 मिनट

👉 ग्रहण की कुल अवधि लगभग 3 घंटे 29 मिनट रहेगी।
कहाँ-कहाँ दिखाई देगा?
भारत में यह चन्द्रग्रहण शुरुआत से अंत तक स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा।
भारत के अलावा यह ग्रहण यूरोप, अफ्रीका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड और अमेरिका के कुछ पूर्वी क्षेत्रों से भी दिखेगा।
- यूरोप व अफ्रीका में चन्द्रोदय होते ही ग्रहणग्रस्त चन्द्रमा दिखाई देगा।
- ऑस्ट्रेलिया व न्यूज़ीलैंड में ग्रहण की समाप्ति के समय चन्द्रमा अस्त हो जाएगा।
- सम्पूर्ण एशिया, विशेषकर भारत, में यह ग्रहण पूर्ण रूप से दिखेगा।
सूतक काल
ग्रहण का सूतक 7 सितम्बर दोपहर 12:57 बजे से प्रारम्भ हो जाएगा।
धार्मिक मान्यता है कि सूतक काल में मूर्तियों का स्पर्श, भोजन, नींद, नाखून काटना आदि कार्य निषिद्ध हैं।
ग्रहण के समय क्या करें?
करने योग्य कार्य
- ग्रहण के दौरान स्नान, जप, मंत्र-पाठ, ध्यान, हवन, दान करना अत्यंत शुभ होता है।
- ग्रहण से पहले ही अन्न, जल, वस्त्र आदि संकल्प करके रख लें और अगले दिन सूर्योदय के बाद स्नान कर ब्राह्मण को दान दें।
- शास्त्रों में वर्णन है कि ग्रहण स्पर्श पर स्नान, मध्य में देवपूजन, और मोक्ष के समय दान श्रेष्ठ होता है।
वर्जित कार्य
- ग्रहणकाल में भोजन, मूर्ति स्पर्श, झूठ बोलना, अनावश्यक बातें करना और तैल-मालिश करना वर्जित है।
- गर्भवती स्त्रियाँ विशेष सावधानी रखें। सब्ज़ी काटना, पापड़ सेंकना जैसे तेज़ कार्य न करें और शांत चित्त रहकर धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें।
- वृद्ध, रोगी, छोटे बच्चे और गर्भवती महिलाएँ आवश्यकता अनुसार भोजन या औषधि ले सकती हैं, इसमें दोष नहीं है।
👉 खाने-पीने की वस्तुएँ खराब न हों इसके लिए दूध, दही, अचार आदि में कुशा घास डाल देने की परंपरा है।
राशियों पर प्रभाव
राशि | प्रभाव |
मेष | धन लाभ और उन्नति |
वृषभ | स्वास्थ्य कष्ट, शरीर पीड़ा |
मिथुन | संतान से जुड़ी चिंता |
कर्क | शत्रु भय, खर्च और सामान्य लाभ |
सिंह | दाम्पत्य जीवन में परेशानी |
कन्या | रोग और मानसिक संघर्ष |
तुला | अधिक खर्च और कार्य में विलम्ब |
वृश्चिक | कार्य सिद्धि और लाभ |
धनु | धन लाभ और उन्नति |
मकर | धन हानि और व्यर्थ यात्राएँ |
कुम्भ | दुर्घटना, शत्रुता, शरीर कष्ट |
मीन | धन हानि और मानसिक अशांति |
👉 जिन राशियों पर अशुभ प्रभाव है, वे चन्द्र-शनि की शांति हेतु जप, दान और स्नानादि उपाय अवश्य करें। ग्रहणकाल में महामृत्युञ्जय मंत्र का जप विशेष फलदायी है।
प्रयोग- ग्रहण के समय एक कांसे की कटोरी में घी भरकर उसमें तांबे अथवा अन्य धातु का सिक्का डालें। फिर उसमें अपना चेहरा देखकर छायापात्र मंत्र का जप करें। ग्रहण समाप्त होने पर वह कटोरी, सिक्का, वस्त्र, फल और दक्षिणा सहित किसी योग्य ब्राह्मण को दान कर दें। ऐसा करने से पुराने व कठिन रोगों से मुक्ति मिलती है और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
चन्द्रग्रहण का ज्योतिषीय प्रभाव
राशि और नक्षत्र अनुसार
यह ग्रहण कुम्भ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में होगा। इसका असर खासतौर पर पश्चिमी पर्वतीय इलाकों, पशुपालकों, और हिंसा/चोरी से जुड़े लोगों पर पड़ेगा।
मास अनुसार फल
भाद्रपद मास में होने के कारण यह ग्रहण ओडिशा, बंगाल, आंध्रप्रदेश और सौराष्ट्र क्षेत्र में उपद्रव, युद्ध जैसी घटनाओं का संकेत देता है। हालांकि कृषि उत्पादन अच्छा होगा और अन्न की कमी नहीं रहेगी।
वार अनुसार फल
क्योंकि यह चन्द्रग्रहण रविवार को पड़ रहा है, इसलिए –
- वर्षा में कमी हो सकती है।
- चावल (धान्य) का उत्पादन घट सकता है।
- दूध की कमी और शासकों में संघर्ष की स्थिति बन सकती है।
- वहीं तेल-घी के व्यापार में लाभ होने की संभावना है।
योग अनुसार फल
यह ग्रहण धृति योग में घटित होगा। इससे गायक, नर्तक, संगीतकार, फिल्म-जगत से जुड़े लोग और लकड़ी का कार्य करने वालों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
ग्रह दृष्टि फल
ग्रहण काल में राहु-चन्द्र के साथ सूर्य-बुध-केतु का समसप्तक योग बनेगा। इससे अग्निकांड, युद्ध, उपद्रव, रोग और प्राकृतिक आपदा का भय रहेगा।
हालाँकि, गुरु की दृष्टि चन्द्र-राहु पर होने से नकारात्मक हालात लंबे समय तक टिक नहीं पाएंगे और जल्दी ही सुधार आ जाएगा।
निष्कर्ष
7 सितम्बर 2025 का यह खग्रास चन्द्रग्रहण भारत सहित सम्पूर्ण एशिया में एक दुर्लभ खगोलीय दृश्य होगा। धार्मिक आस्था रखने वालों के लिए यह जप, दान और स्नान का अत्यंत शुभ अवसर है। ज्योतिष की दृष्टि से कुछ क्षेत्रों और वर्गों के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय रहेगा, परन्तु गुरु की शुभ दृष्टि से अंततः परिस्थितियाँ सामान्य होने की संभावना है।