भारतीय संस्कृति में तंत्र का अर्थ अक्सर गलत समझा जाता है। बहुत लोग सोचते हैं कि तंत्र केवल किसी विशेष साधना या जड़ी-बूटी से जुड़ा होता है। लेकिन असल में तंत्र का मतलब है – तन को तर करने वाला, यानी ऐसा प्रयोग जो हमारे शरीर, मन और घर को कल्याणकारी बना दे।
हमारी परंपरा कहती है कि तंत्र आकार और निराकार दोनों रूपों से कार्य करता है। मतलब यह केवल दिखने वाली चीजों तक सीमित नहीं है, बल्कि अदृश्य ऊर्जा भी इसमें काम करती है।

तंत्र का असली अर्थ
यदि हम “तंत्र” शब्द को देखें तो इसका अर्थ निकलता है –
तन + त्राण = तंत्र
यानी ऐसा साधन जो शरीर और जीवन को त्राण (रक्षा, कल्याण, सुरक्षा) प्रदान करे।
भारत में रंगों का भी बहुत महत्व माना गया है।
- पीला रंग – ज्ञान, वैभव और अध्यात्म का प्रतीक।
- लाल रंग – शक्ति, साहस और गति का सूचक।
जब ये दोनों रंग साथ आते हैं तो जीवन में संतुलन और सकारात्मकता जन्म लेती है। इसी आधार पर हमारे ऋषियों ने कुछ विशेष तंत्र प्रयोग बताए हैं।
पहला प्रयोग – मौली गणेश की स्थापना
यह प्रयोग सरल भी है और बहुत प्रभावशाली भी।
आवश्यक सामग्री
- 15×15 इंच का सफेद कपड़ा
- हल्दी
- मौली (लाल पवित्र धागा)
- फेविकोल
- सफेद सूती धागा
विधि
- कपड़े को हल्दी से पीला रंग लें।
- बीच में पेंसिल से गणेशजी की आकृति बनाएं।
- अब उस आकृति पर फेविकोल लगाकर मौली चिपका दें।
- जनेऊ और गणेशजी के अंग (आंख, तिलक, मुकुट आदि) सफेद धागे से चिन्हित करें।
- यह प्रयोग शुक्ल चतुर्थी के दिन करें।
- पूजन के बाद इस चित्र को शीशे में जड़वाकर घर के मुख्य द्वार के अंदर लगा दें।
लाभ
- घर के गृहदोष, सर्पदोष, पितृदोष, वास्तुदोष आदि शांत हो जाते हैं।
- रोग, शोक और ऊपरी बाधाएं दूर होती हैं।
घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है।
दूसरा प्रयोग – सिंदूर का महत्व
सिंदूर को हम सामान्यत: केवल सुहाग का प्रतीक मानते हैं, लेकिन धार्मिक दृष्टि से यह बहुत शक्तिशाली तत्त्व है।
प्रमुख प्रयोग और लाभ
- गणेशजी पर चढ़ा सिंदूर – विघ्न-बाधाएं दूर करता है।
- मां पार्वती पर अर्पित सिंदूर – महिलाएं धारण करें तो अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है।
- हनुमानजी के दाहिने पैर का सिंदूर – मुकदमे, युद्ध या प्रतियोगिता में विजय दिलाता है।
- पूजास्थान में सिंदूर की डिब्बी – इसमें 11 लौंग और 11 छोटी इलायची रखकर प्रतिदिन धूप दें और “ॐ श्री श्रिये नमः” मंत्र का जप करें। इससे घर में वृद्धि होती है।
- मंगलवार या जया तिथि पर हनुमानजी को सिंदूर-घी अर्पित करना – जीवन में हार का सामना नहीं करना पड़ता।
- शुक्लाष्टमी पर मां दुर्गा को सिंदूर – संकट टलते हैं।
- अमावस्या पर मां लक्ष्मी को सिंदूर – जीवन से दरिद्रता और अंधकार मिटता है।
- रविवार को भैरव जी पर तेल-सिंदूर – भूत-प्रेत और नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
खास ध्यान दें
इन प्रयोगों में केवल पीले सिंदूर का ही प्रयोग करना चाहिए। लाल सिंदूर इन साधनाओं में वर्जित है।
निष्कर्ष
ये तंत्र प्रयोग बहुत ही सरल हैं और घर-घर में किए जा सकते हैं। यदि श्रद्धा और विश्वास के साथ इन्हें अपनाया जाए तो जीवन से अनेक प्रकार की बाधाएं, रोग और शोक दूर हो सकते हैं।
गणपति का मौली प्रयोग और सिंदूर तंत्र, दोनों ही मिलकर घर में सुख-समृद्धि, सुरक्षा और शांति का वातावरण बनाते हैं।